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पुजारी को जिंदा जलाया गया, भाजपा सांसद Kirodi Lal Meena गांव में धरने पर बैठे

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पुजारी को जिंदा जलाया गया, भाजपा सांसद Kirodi Lal Meena गांव में धरने पर बैठे
File Photo kirori lal meena

पुजारी को जिंदा जलाया गया, भाजपा सांसद Kirodi Lal Meena गांव में धरने पर बैठे

करौली (Karauli) (राजस्थान के करौली) में भाजपा सांसद Kirodi Lal Meena (किरोड़ी लाल मीणा) पुजारी को जिंदा जलाने के मामले में न्याय की मांग को लेकर धरने पर बैठ गए हैं।

राजस्थान के करौली (Karauli)  में पुजारी को जिंदा जलाने की घटना के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है। भाजपा के राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा पुजारी के गांव के सैकड़ों लोगों के साथ धरने पर बैठ गए हैं। पुजारी हत्या मामले में राजस्थान सरकार पर निशाना साधते हुए भाजपा ने कानून व्यवस्था पर सवाल उठाया है।

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पुजारी के परिवार ने की यह मांग

पुजारी बाबूलाल वैष्णव के परिवार में उनकी पत्नी के अलावा 6 बेटियाँ और एक बेटा है। परिवार ने अपराधियों को कड़ी सजा देने की मांग की है। पुजारी की पत्नी विमला देवी ने न्याय की मांग करते हुए कहा कि दोषियों को फांसी दी जानी चाहिए। एक अन्य रिश्तेदार ने मांग पर ध्यान केंद्रित किया और बाबूलाल के बेटे को प्रशासन और सरकारी नौकरी से परिवार को 50 लाख रुपये देने की मांग की।

जानिए क्या है पूरा मामला

कैलाश पुत्र कडू मीणा, शंकर, नमो, रामलखन मीणा आदि करौली में सपोटरा क्षेत्र के बुकाना गांव में मंदिर की जमीन पर कब्जा करने के लिए छापेमारी कर रहे थे। जब पुजारी (मंदिर पुजारी) ने उपद्रवियों को अतिक्रमण करने से रोका, तो उसने पेट्रोल छिड़क कर आग लगा दी।

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आगजनी में पुजारी का शरीर कई जगह से झुलस गया। परिवार ने पहले पुजारी को सपोटरा अस्पताल में भर्ती कराया, लेकिन स्थिति गंभीर होने के बाद उन्हें जयपुर रेफर कर दिया गया। जयपुर में इलाज के दौरान गुरुवार शाम सात बजे पुजारी की मौत हो गई। पुजारी के बयान के बाद, सपोटरा पुलिस स्टेशन में एक प्राथमिकी दर्ज की गई, जिसके बाद पुलिस ने मुख्य आरोपी कैलाश मीणा को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन 5 अन्य आरोपी अभी भी फरार हैं।

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पंचायत ने पुजारी के पक्ष में फैसला दिया

ग्रामीणों ने लगभग 150 साल पहले पुजारी बाबूलाल वैष्णव के परिवार को 12 बीघा जमीन दान में दी थी। उनका परिवार खेती करके उनकी ज़मीन की देखभाल करता था। इसको लेकर काफी समय से विवाद की स्थिति बनी हुई थी और 7 सितंबर को ग्रामीणों ने इस मामले में पंचायत की थी।

पंचायत ने बाबूलाल के पक्ष में फैसला सुनाया, लेकिन कैलाश मीणा और उनका परिवार सहमत नहीं था। पंचायत के निर्णय पर गाँव के 100 लोगों के हस्ताक्षर होते हैं।

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