कड़ी सज़ा का प्रावधान
नए कानून में पेपर लीक प्रकरण के दोषी को तीन से 10 साल की सजा का प्रावधान किया गया है, साथ ही 10 करोड़ के जुर्माने का प्रावधान भी है। सरकार ने नकल करना या कराने में साधनों का उपयोग, कुंजी, पेपर, पेपर लीक या किसी गैजेट का उपयोग करने को अपराध माना है। इस तरह की किसी भी मामले की जांच एडिशनल एसपी से ऊपर के अधिकारी करेंगे। जरूरत पड़ने पर अधिकारी आरोपी की संपत्ति नीलाम या कुर्क भी कर सकेंगे। इस तरह के अपराध को गैर जमानती माना गया है। नकल पर तीन साल सजा के साथ एक लाख जुर्माना देना होगा इसे नहीं भरने की स्थिति में नौ महीने की अतिरिक्त सजा दी जाएगी। परीक्षार्थी या किसी अन्य के अनुचित साधन का उपयोग पर भी पांच से दस साल की सजा के साथ एक लाख से 10 करोड़ का जुर्माने भरना होगा। जुर्माना नहीं देने पर दो साल कैद की सजा और बढ़ाने का प्रावधान जोड़ा गया है। इसके अतिरिक्त दोषी परीक्षार्थी को दो साल परीक्षा से डिबार भी किया जा सकेगा।
संशोधित कानून के दायरे में परीक्षाएं
संशोधित कानून के दायरे में आरपीएससी, हाईकोट, कर्मचारी चयन बोर्ड, विश्वविद्यालय, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, पुलिस भर्ती और सार्वजनिक उपक्रम बोर्ड सहित राज्य में होने वाली सभी परीक्षाएं शामिल होंगी। इसके लागू होने के बाद परीक्षाओं की सिक्योरिटी पहले से अधिक कड़ी हो जाएगी तथा परीक्षार्थी और परीक्षा से जुड़े लोगों को ही परीक्षा केंद्र में जाने की अनुमति दी जाएगी।
अभी भी नकल में शामिल परीक्षार्थियों का रिजल्ट रोकने और परीक्षा से बाहर करने के प्रावधान हैं लेकिन अब प्रावधान और कड़े किए गए हैं। इन प्रावधानों के अलावा नकल और पेपर लीक से जुड़े मामलों की सुनवाई के लिए सरकार ने अलग से डीजे स्तर के कोर्ट की व्यवस्था की है। वहीं जरूरत पड़ने पर अधिकारियों को आरोपी की संपत्ति नीलाम या कुर्क करने का भी अधिकार दिया है। इस संशोधित बिल को कुछ ही दिनों में पास कर दिया जाएगा, जिसके बाद नकल की रोकथाम के लिए कड़ा कानून बन जाएगा। इस कानून के अस्तित्व में आने से पेपर लीक और नकल जैसे अपराधों पर प्रभावी रोक लग सकेगी।