Big News कई बार शिकायत करने के बाद भी खनन विभाग मौन , चरागाह भूमि से बजरी का गोरखधंधा
बागडोली/बोंली – भले ही सुप्रीम कोर्ट के सख्त आदेश हो, लेकिन क्षेत्र में खनन विभाग की मौन स्वीकृति से अवैध बजरी दोहन कर निर्गमन करने का गोरखधंधा धड़ल्ले से चल रहा है। अब तो चरागाह भूमि में भी बजरी का अवैध स्टॉक किया जाकर बजरी की कालाबाजारी जोरों पर है। लेकिन राजस्व विभाग ऐसे चुप्पी साधे मौन बैठा हुआ है। जैसे उसे इसकी कोई कानोकान खबर ही नहीं है।
मामला है बागडोली क्षेत्र चारागाह भूमि व बंधावल स्थित वन विभाग भूमि का। भूमाफिया प्रशासनिक मिलीभगत व अनदेखी से सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की चरागाह पर कब्जा करके इस कदर धज्जियां उड़ा रहे हैं, जिससे लगता है कि यह सब गोरखधंधा प्रशासनिक मिलीभगत से मौन स्वीकृति के साथ संभवतया हो रहा है।
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– इस तरह से होती है योजना –
बजरी माफिया बनास नदी से रोजाना बजरी का दोहन कर चरागाह भूमि में लाकर स्टॉक करते है। फिर यहां से इस बजरी को बेचने का मौका देखकर धंधा करते है।
सूचना पर कहीं भी खाली कर देते है
-कोई भी कार्यवाही होने से पहले ही माफियाओं को मिल जाती है जानकारी-
बजरी माफियाओं का नेटवर्क इतना मजबूत है कि उन्हें तुरन्त प्रशासन की कार्यवाही की सूचना मिल जाती है, ऐसे में वह कहीं भी बजरी स्टॉक को खाली करके अपना वाहन कही खडा कर देते है। जिससे बीच रास्ते में बजरी खाली कर देने पर कई जगह आवाजाही प्रभावित हो जाती है। बागडोली से बहनोली के रास्ते पर ऐसे बजरी के मुख्य रास्ते पर हो रखे कई ढेर देखे जा
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-शर्मसार करता सिस्टम का रवैय्या-
बजरी खनन पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना करने की बजाय प्रशासनिक अधिकारी कर्मचारी की मौन स्वीकृति देखी जा रही है। इन्होंने बजरी खनन रोकने के लिए एक भी निर्गमन रास्ते को बंद नहीं करवाया है और न हीं किसी के विरूद्ध कोईकार्यवाही की है। अगर इसकी राय स्तर पर जांच की जाए तो बड़ा गोरखधंधा सामने आ सकता है। दूध का दूध पानी का पानी हो सकता हैं।
-नदी पेटे में कोई कार्यवाही नहीं-
बनास नदी पेटे से प्रशासन ने आज तक कोई कार्यवाही नहीं की है, यदि बनास पेटे में जाकर सख्त कार्यवाही की जाए तो अवैध बजरी परिवहन की संभावना ही खत्म हो जाए। लेकिन विभाग आदेशों के तहत नाममात्र की रास्ते में मिलने वाहनों पर कार्यवाही करके चुप्पी साधे मौन बैठा हुआ है।
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-दिखावटी तौर पर भरता है कार्यवाही का दंभ-
प्रशासन कुछ नाम मात्र की कभी कभी कार्यवाही कर इस अवैध गोरखधंधे पर अंकुश लगाने का दंभ भरता है, लेकिन चरागाह भूमि पर होने वाले स्टॉक को जानकारी देने के बाद भी जब्त नहीं करना प्रशासन की मिलीभगत को स्पष्ट करता दिखा है। बजरी माफिया प्रशासनिक मिलीभगत से बेलगाम हुए है। खनन विभाग के अधिकारीयों को 2-3 दिनों तक चरागाह में बजरी स्टॉक किए जाने की सूचना दी जा चुकी है, लेकिन कोई भी कोईकार्यवाही नहीं हुई है। जिससे कहीं न कहीं प्रशासन की इसमें मौन स्वीकृति सामने नजर आती है।
रिपोर्टर – आशाराम मीना- बागड़ोली
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