Home राजनीति राजस्थान के राजभवन से फिर उठा विवाद का जिन्न

राजस्थान के राजभवन से फिर उठा विवाद का जिन्न

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राजस्थान के राज्यपाल का नाता विवादों से बहुत गहरा लगता है, तभी तो वह राज्य की सरकार और उसके फैसलों के साथ टकराव के लिए मशहूर हो चुके हैं। इस बार मामला हरदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय विश्वविद्यालय (Haridev Joshi University of Journalism and Mass Communication) से जुड़ा है। जिसे सूबे की गहलोत सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में शुरू तो किया था लेकिन वसुंधरा सरकार ने यह कहते हुए बंद कर दिया और राजस्थान विश्वविद्यालय के जनसंचार केंद्र में विलय कर दिया कि उक्त विश्वविद्यालय में छात्रों की संख्या पर्याप्त नहीं है। अब साल 2019 में फिर से राजस्थान में गहलोत सरकार (Rajasthan government) के लौटने के बाद एक बिल पास करके हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय को फिर से स्थापित किया गया और भवन निर्माण के लिए जमीन भी चिन्हित कर ली गई। जहां जल्द ही यूनिवर्सिटी निर्माण का काम शुरू होना है लेकिन उससे पहले ही बीजेपी नेता विश्व विद्यालय के कुलपति और इसमें होने वाली भर्तियों के आड़े आने लगे हैं। खास बात यह है कि इस मामले में राज्यपाल कलराज मिश्र की भी गहरी दिलचस्पी दिखाई दे रही है।

 

 

विवादों का विश्वविद्यालय

अभी कुछ ही दिन पहले गहलोत सरकार द्वारा नियुक्त किये गए, विश्वविद्यालय के कुलपति पत्रकार ओम थानवी की योग्यता को भी बीजेपी के कुछ नेताओं ने हाईकोर्ट (Rajasthan High court) में जनहित याचिका (PIL) से चुनौती देते हुए उन्हें अयोग्य ठहराया था। इस पर थानवी को ओर से जवाब दिया गया कि उनकी नियुक्ति विश्वविद्यालय एक्ट के प्रावधान 11(17) में स्पष्ट नियमों के मुताबिक ही हुई है जिनके तहत प्रथम कुलपति की नियुक्ति सरकार से परामर्श के बाद चांसलर द्वारा निर्धारित नियम व शर्तों के आधार पर की जाती है। जिसके बाद अब राजभवन ने भी पत्रकारिता विवि में हो रही भर्ती पर सवाल उठाए हैं। पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी की शिकायत पर राज्यपाल ने इस भर्ती को अनुचित ठहराया है। राज्यपाल के अनुसार विवि के कुलपति अगले तीन महीनों में सेवानिवृत्त होने वाले हैं, ऐसे में उन्हें कार्यकाल अल्पावधि में प्रशासनिक दृष्टि से विभिन्न नीतिगत निर्णय लेना ठीक नहीं लगता।

कुलपति का पलटवार

विश्‍वविद्यालय के कुलपति ओम थानवी के मुताबिक यह नियुक्तियां तीन महीने पहले निकाली गई थीं और उन्हें मार्च में रिटायर होना है। हालांकि थानवी ने राजभवन के इस फैसले पर आपत्ति जताते हुए नैतिकता के आधार पर नियुक्तियां रोक दी हैं। लेकिन उन्होंने बीजेपी की मंशाओं पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाए हैं कि दो भाजपा नेता अचानक सक्रिय होकर बिना सिर पैर की बातें कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जो बातें बीजेपी नेताओं को तीन वर्ष में नहीं सूझीं, उन्हें अब कल्पना के सहारे उछाल रहे हैं। उन्हें कौन शह दे रहा है और क्यों, यह मैं वक़्त आने पर बताऊंगा।

बीजेपी की रडार पर थानवी

आपको बता दें कि इससे पहले भी राज्यपाल कलराज मिश्र ने बीजेपी की शिकायत पर अजमेर की MDS यूनिवर्सिटी से कार्यवाहक कुलपति ओम थानवी को हटाने के आदेश हुए जारी किये थे। उस समय भी अजमेर सांसद भागीरथ चौधरी और पूर्व शिक्षामंत्री वासुदेव देवनानी के नेतृत्व में बीजेपी के प्रतिनिधी मंडल ने राज्यपाल से मुलाकात कर पत्रकारिता विवि के कुलपति ओम थानवी की कार्यशैली को लेकर ज्ञापन दिया था। साथ ही अतिरिक्त प्रभार को लेकर भी आपत्ति जताई थी। पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति ओम थानवी सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते हैं। पीएम मोदी के घोर विरोधी माने जाने वाले थानवी, अपने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए मोदी सरकार लगातार हमला भी बोलते रहते हैं। इसके अलावा वह सीएम गहलोत के भी करीब बताए जाते हैं।

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