Friday, December 27, 2024
a

HomeदुनियाRussia Ukraine war के विवाद की क्या है असली वजह, क्यों...

Russia Ukraine war के विवाद की क्या है असली वजह, क्यों NATO में शामिल होना चाहता है यूक्रेन?

Russia Ukraine war रूस चाहता है कि यूक्रेन में नाटो देश पैठ न बना सकें. नाटो देश यूक्रेन को पश्चिमी देशों का सैन्य अड्डा बनाते जा रहे हैं.

Russia Ukraine war  रूस (Rssia) और यूक्रेन (Ukraine) के बीच जारी विवाद खत्म होता नजर नहीं आ रहा है. यूक्रेन की सीमाओं पर 1,25,000 रूसी सेना के जवान खड़े हैं. स्थिति इतनी गंभीर है कि नाटो (NATO) देशों और रूसी सेना के बीच कभी भी युद्ध शुरू हो सकता है. विवाद यह है कि यूक्रेन उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन यानी नाटो का सदस्य देश बनना चाहता है और रूस इसका विरोध कर रहा है. नाटो अमेरिका और पश्चिमी देशों के बीच एक सैन्य गठबंधन है, इसलिए रूस नहीं चाहता कि उसका पड़ोसी देश नाटो का मित्र बने.

यह भी पढ़े:- 7 Seater Car: बेहद सस्ती हैं ये 7 सीटर कारें, कीमत महज 4.26 लाख रुपए से शुरू

नाटो देशों पर ठने इस पूरे विवाद ने एक नई युद्ध की संभावना को जन्म दिया है जिसमें एक से ज्यादा देश भाग ले सकते हैं. रूस ने यूक्रेन से लगी 450 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर अपने 1,25,000 सैनिकों को तैनात किया है. इन जवानों को यूक्रेन की पूर्वी और उत्तर-पूर्वी सीमा पर तैनात किया गया है. रूस ने काला सागर में अपने युद्धपोत भी तैनात किए हैं जो खतरनाक मिसाइलों से लैस हैं. 2014 में रूस ने यूक्रेन Russia Ukraine war में एक महत्वपूर्ण बंदरगाह क्षेत्र क्रीमिया पर कब्जा कर लिया था और तब से संघर्ष कभी खत्म ही नहीं हुआ है.

Russia Ukraine war
Russia Ukraine war

रूस ने यूक्रेन की सीमा पर ड्रोन भी तैनात किए हैं, जो पलक झपकते ही किसी भी सैन्य अड्डे को तबाह कर सकते हैं. रूस ने यूक्रेन को चारों तरफ से घेर लिया है. रूस-यूक्रेन संघर्ष ने दुनिया को दो गुटों में बांट दिया है. एक तरफ रूस है, जिसे चीन जैसे देशों का समर्थन प्राप्त है और दूसरी तरफ यूक्रेन है, जिसे अमेरिका, ब्रिटेन और अन्य नाटो देशों से समर्थन मिल रहा है.

रूस क्यों नहीं चाहता कि यूक्रेन नाटो देशों में शामिल हो?

नाटो एक सैन्य समूह है जिसमें अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे 30 देश शामिल हैं. अब रूस के सामने चुनौती यह है कि उसके कुछ पड़ोसी देश पहले ही नाटो में शामिल हो चुके हैं. इनमें एस्टोनिया और लातविया जैसे देश हैं, जो पहले सोवियत संघ का हिस्सा थे. अब अगर यूक्रेन भी नाटो का हिस्सा बन गया तो रूस हर तरफ से अपने दुश्मन देशों से घिर जाएगा और अमेरिका जैसे देश उस पर हावी हो जाएंगे. अगर यूक्रेन नाटो का सदस्य बन जाता है और रूस भविष्य में उस पर हमला करता है तो समझौते के तहत इस समूह के सभी 30 देश इसे अपने खिलाफ हमला मानेंगे और यूक्रेन की सैन्य सहायता भी करेंगे.

यह भी पढ़े:- Google Pay, PhonePe, Paytm, UPI से भुगतान करने के लिए इंटरनेट नहीं है, चिंता न करें- ऐसे कर सकते हैं ट्रांसफर

Russia Ukraine war रूसी क्रांति के नायक व्लादिमीर लेनिन ने एक बार कहा था कि ‘यूक्रेन को खोना रूस के लिए एक शरीर से अपना सिर काट देने जैसा होगा.’  यही वजह है कि रूस नाटो में यूक्रेन के प्रवेश का विरोध कर रहा है. यूक्रेन रूस की पश्चिमी सीमा पर स्थित है. जब 1939 से 1945 तक चले द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान रूस पर हमला किया गया तो यूक्रेन एकमात्र ऐसा क्षेत्र था जहां से रूस ने अपनी सीमा की रक्षा की थी. अब अगर यूक्रेन नाटो देशों के साथ चला गया तो रूस की राजधानी मास्को, पश्चिम से सिर्फ 640 किलोमीटर दूर होगी. फिलहाल यह दूरी करीब 1600 किलोमीटर है.

यूक्रेन नाटो में क्यों शामिल होना चाहता है?

यूक्रेन के नाटो देश में शामिल होने की वजह 100 साल पुरानी है, जब अलग देश का अस्तित्व भी नहीं था. 1917 से पहले रूस और यूक्रेन रूसी साम्राज्य का हिस्सा थे. 1917 में रूसी क्रांति के बाद, यह साम्राज्य बिखर गया और यूक्रेन ने खुद को एक स्वतंत्र देश घोषित कर दिया. हालांकि यूक्रेन मुश्किल से तीन साल तक स्वतंत्र रहा और 1920 में यह सोवियत संघ में शामिल हो गया. यूक्रेन के लोग हमेशा से खुद को स्वतंत्र देश मानते रहे.

1991 में जब सोवियत संघ का विघटन हुआ तो यूक्रेन सहित 15 नए देशों का गठन हुआ. सही मायनों में यूक्रेन को साल 1991 में आजादी मिली. हालांकि, यूक्रेन शुरू से ही समझता है कि वह रूस से कभी भी अपने दम पर मुकाबला नहीं कर सकता और इसलिए वह एक ऐसे सैन्य संगठन में शामिल होना चाहता है जो उसकी आजादी को महफूज रख सके. नाटो से बेहतर संगठन कोई और नहीं है जो यूक्रेन की रक्षा कर सके.

यूक्रेन के पास न तो रूस जैसी बड़ी सेना है और न ही आधुनिक हथियार. यूक्रेन में 1.1 मिलियन सैनिक हैं जबकि रूस के पास 2.9 मिलियन सैनिक हैं. यूक्रेन के पास 98 लड़ाकू विमान हैं, रूस के पास करीब 1500 लड़ाकू विमान हैं. रूस के पास यूक्रेन की तुलना में अधिक हमलावर हेलीकॉप्टर, टैंक और बख्तरबंद वाहन भी हैं.

यह भी पढ़े:- 8 लाख रुपये के बजट में ले जाए SUV सेडान और हैचबैक कारें, जानिए क्या हैं फीचर्स

विवाद का असली विलेन है अमेरिका!

रूस और यूक्रेन के विवाद में अमेरिका की अहम भूमिका है. अमेरिका ने अपने 3000 सैनिकों को यूक्रेन की मदद के लिए भेजा है और उनकी तरफ से यह आश्वासन दिया गया है कि वे यूक्रेन की मदद के लिए हर संभव प्रयास करेंगे. सच्चाई यह है कि मौजूदा अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, यूक्रेन का इस्तेमाल सिर्फ अपनी छवि मजबूत करने के लिए कर रहे हैं. पिछले साल अमेरिका को अफगानिस्तान से अपनी सेना वापस बुलानी पड़ी थी. इसके अलावा ईरान में अमेरिका कुछ हासिल नहीं कर पाया और तमाम प्रतिबंधों के बावजूद उत्तर कोरिया लगातार मिसाइल परीक्षण भी कर रहा है. इन घटनाओं ने अमेरिका की सुपर पॉवर इमेज को नुकसान पहुंचाया है. यही वजह है कि जो बाइडेन यूक्रेन-रूस विवाद के साथ इसकी भरपाई करना चाहते हैं.

अमेरिका के अलावा ब्रिटेन और फ्रांस जैसे देशों ने भी यूक्रेन का समर्थन किया है. इन देशों का समर्थन कब तक चलेगा यह एक बड़ा सवाल है क्योंकि यूरोपीय देश अपनी गैस की एक तिहाई जरूरत के लिए रूस पर निर्भर हैं. अब अगर रूस इस गैस की आपूर्ति बंद कर देता है तो इन देशों में भयानक पॉवर क्राइसिस होगा.

Russian Army

किसके साथ खड़ा है भारत?

रूस-यूक्रेन के विवाद में भारत की स्थिति भी बहुत महत्वपूर्ण है. रूस और अमेरिका दोनों भारत के लिए महत्वपूर्ण हैं. भारत अभी भी अपने 55 फीसदी हथियार रूस से खरीदता है जबकि अमेरिका के साथ भारत के संबंध पिछले 10 वर्षों में काफी मजबूत हुए हैं. जिस देश में यूक्रेन ने सबसे पहले फरवरी 1993 में एशिया में अपना दूतावास खोला वह भारत था. तब से भारत और यूक्रेन के बीच व्यापारिक, रणनीतिक और राजनयिक संबंध मजबूत हुए हैं. यानी भारत इनमें से किसी भी देश को परेशान करने का जोखिम नहीं उठा सकता.

ह भी पढ़े:- सबकी चहेती नई Mahindra Bolero आ गई है, हो गई और भी ज्यादा सुरक्षित, जानें सबकुछ?

रूस ने अब तक भारत-चीन सीमा विवाद पर तटस्थ रुख अपनाया है. अगर भारत यूक्रेन का समर्थन करता है तो वह कूटनीतिक रूप से रूस को चीन के पक्ष में ले जाएगा. शायद यही कारण है कि हाल ही में जब अमेरिका सहित 10 देश संयुक्त राष्ट्र में यूक्रेन पर एक प्रस्ताव लेकर आए भारत ने किसी के पक्ष में मतदान नहीं किया. भारत के लिए चिंता की बात यह भी है कि इस समय यूक्रेन में करीब 20,000 भारतीय फंसे हुए हैं जिनमें से 18 हजार मेडिकल के छात्र हैं.

यह भी पढ़े:- ज्यादा स्पेस और नए फीचर्स के साथ आएगी New Maruti Alto, लॉन्च से पहले देखें सभी फीचर्स

यूक्रेन और रूस के रिश्ते को समझना बहुत मुश्किल है. यूक्रेन के लोग स्वतंत्र रहना चाहते हैं, लेकिन पूर्वी यूक्रेन के लोगों की मांग है कि यूक्रेन को रूस के प्रति वफादार रहना चाहिए. यूक्रेन की राजनीति में नेता दो गुटों में बंटे हुए हैं. एक दल खुले तौर पर रूस का समर्थन करता है और दूसरा दल पश्चिमी देशों का समर्थन करता है. यही वजह है कि आज यूक्रेन दुनिया की बड़ी ताकतों के बीच फंसा हुआ है.

यह भी पढ़े :– 100000 रुपये देकर घर ले जाएं लोकप्रिय Tata Nexon, देखें कितनी होगी ईएमआई

यह भी पढ़े :- ये हैं दैनिक उपयोग के Cars, बजट में भी पूरी तरह फिट होंगे; जानिए कीमत और माइलेज

यह भी पढ़े:- Mahindra Thar और XUV700 का मालिक बनने के लिए नहीं देना होगा डाउनपेमेंट, कंपनी ने दिया जबरदस्त ऑफर

यह भी पढ़े:- 32 km/kg तक का शानदार माइलेज देती है ये शानदार CNG कारें, कीमत है 6 लाख रुपए से कम

लेटेस्ट न्यूज़ अपडेट पाने के लिए –
आवाज़ इंडिया न्यूज़ के समाचार ग्रुप Whatsapp से जुड़े
आवाज़ इंडिया न्यूज़  के समाचार ग्रुप Telegram से जुड़े
आवाज़ इंडिया न्यूज़ के समाचार ग्रुप Instagram से जुड़े
आवाज़ इंडिया न्यूज़ के समाचार ग्रुप Youtube से जुड़े
आवाज़ इंडिया न्यूज़ के समाचार ग्रुप को Twitter पर फॉलो करें

Ashish Tiwari
Ashish Tiwarihttp://ainrajasthan.com
आवाज इंडिया न्यूज चैनल की शुरुआत 14 मई 2018 को श्री आशीष तिवारी द्वारा की गई थी। आवाज इंडिया न्यूज चैनल कम समय में देश में मुकाम हासिल कर चुका है। आज आवाज इन्डिया देश के 14 प्रदेशों में अपने 700 से ज्यादा सदस्यों के साथ बेहद जिम्मेदारी और निष्ठापूर्ण तरीके से कार्यरत है। जिन राज्यों में आवाज इंडिया न्यूज चैनल काम कर रहा है वह इस प्रकार हैं राजस्थान, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, दिल्ली, पश्चिमी बंगाल, महाराष्ट्र, गुजरात, आंध्रप्रदेश, केरला, ओड़िशा और तेलंगाना। आवाज इंडिया न्यूज चैनल के मैनेजिंग डायरेक्टर श्री आशीष तिवारी और डॉयरेक्टर श्रीमति सुरभि तिवारी हैं। श्री आशिष तिवारी ने राजस्थान यूनिवर्सिटी से समाजशास्त्र मे पोस्ट ग्रेजुएशन किया और पिछले 30 साल से न्यूज मीडिया इन्डस्ट्री से जुड़े हुए हैं। इस कार्यकाल में उन्हों ने देश की बड़ी बड़ी न्यूज एजेन्सीज और न्युज चैनल्स के साथ एक प्रभावी सदस्य की हैसियत से काम किया। अपने करियर के इस सफल और अदभुत तजुर्बे के आधार पर उन्होंने आवाज इंडिया न्यूज चैनल की नींव रखी और दो साल के कम समय में ही वह अपने चैनल के लिये न्यूज इन्डस्ट्री में एक अलग मकाम बनाने में कामयाब हुए हैं।
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -spot_img

Most Popular

Recent Comments