MP Diya Kumari की किसानों से अपील- कांग्रेस के छलावे में नहीं आये
- केंद्र ने कृषि बिल पर जारी किया विस्तृत पत्रक
राजसमन्द। कृषि बिल पर किसान आंदोलन के माध्यम से गेर जरूरी राजनीति कर आग में घी डालने का काम कर रहे कांग्रेस और वाम दलों को आड़े हाथों लेते हुए (MP Diya Kumari) सांसद दियाकुमारी ने कहा कि विरोधियों का झूठ बेनकाब हो चुका है। कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने किसानों के नाम पत्रक जारी करते हुए सत्य की तस्वीर को उजागर किया है। पत्रक के माध्यम से केंद्र सरकार ने कांग्रेस सहित सभी विरोधियों द्वारा बोले जा रहे हर झूठ से पर्दा हटाया है।
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विपक्ष द्वारा केंद्र सरकार पर बार बार झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं कि एमएसपी की व्यवस्था खत्म हो रही है,एपीएमसी मंडियां बंद की जा रही हैं, किसानों की जमीन खतरे में है, किसानों पर किसी भी प्रकार के बकाये के बदले ठेकेदार जमीन हथिया सकते हैं, कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के मामले में किसानों के लिए मूल्य की कोई गारंटी नहीं है, किसानों को भुगतान नहीं किया जाएगा,
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विपक्ष द्वारा केंद्र सरकार पर बार बार झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं कि एमएसपी की व्यवस्था खत्म हो रही है,एपीएमसी मंडियां बंद की जा रही हैं, किसानों की जमीन खतरे में है, किसानों पर किसी भी प्रकार के बकाये के बदले ठेकेदार जमीन हथिया सकते हैं, कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के मामले में किसानों के लिए मूल्य की कोई गारंटी नहीं है, किसानों को भुगतान नहीं किया जाएगा,
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किसान कॉन्ट्रैक्ट को खत्म नहीं कर सकते हैं,पहले कभी कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की कोशिश नहीं की गई है, इन कानूनों को लेकर कोई सलाह-मशविरा या चर्चा नहीं की गई है जैसे कई तथ्यहीन और बेसिरपैर के आरोप लगाए जा रहे हैं।
इस सब आरोपों का जवाब केंद्र सरकार द्वारा जारी पत्रक में दिया गया है
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इसमें स्पष्ट तौर पर कहा गया है की कृषि बिल में एमएसपी जारी है और जारी रहेगा, एपीएमसी मंडियां कायम रहेंगी, ये इस कानून की परिधि से बाहर है। एग्रीमेंट फसलों के लिए होगा, न कि जमीन के लिए। सेल-लीज और गिरवी समेत जमीन के किसी भी प्रकार के हस्तांतरण का करार नहीं होगा। परिस्थितियां चाहे जो भी हो किसानों की जमीन सुरक्षित है और सुरक्षित रहेगी।
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कृषि मंत्री ने आरोपों का जवाब देते हुए पत्रक में लिखा कि फार्मिंग एग्रीमेंट में कृषि उपज का खरीद मूल्य दर्ज किया जाएगा, किसानों का भुगतान तय समय सीमा के भीतर करना होगा, अन्यथा कानूनी कार्रवाई होगी और जुर्माना लगेगा।
किसान किसी भी समय बगैर किसी अनुमति के कॉन्ट्रैक्ट को खत्म कर सकते हैं। कई राज्यों ने कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की मंजूरी दे रखी है तो कई राज्यों में तो कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग संबंधी कानून तक हैं।
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कांग्रेस की पोल खोलते हुए केंद्रीय मंत्री ने लिखा कि इस पर दो दशकों से विचार- विमर्श हो रहा है। वर्ष 2000 में शंकरलाल गुरु कमेटी से इसकी शुरुआत हुई थी, उसके बाद 2003 में मॉडल एपीएमसी एक्ट 2007 के एपीएमसी नियम, 2010 में हरियाणा, पंजाब, बिहार एवं पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्रियों की समिति व 2013 में 10 राज्यों के कृषि मंत्रियों की संस्तुति, 2017 का मॉडल एपीएलएम एक्ट और इन सबको ध्यान में रखते हुए वर्ष 2020 में संसद द्वारा इन कानूनों को मंजूरी है। सांसद दियाकुमारी ने किसानों के साथ आम जनता से भी अपील की है कि देश में अराजकता का माहौल पैदा करने वाले विपक्षी दलों के छलावे में नहीं आये।
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