Datsun के पास है देश की सबसे सस्ती 5 और 7 सीटर कार, माइलेज और सेफ्टी फीचर्स भी हैं बेहतरीन; फिर कारोबार क्यों बंद कर दिया गया?
जापानी कार निर्माता निसान ने भारत में अपने Datsun ब्रांड को बंद कर दिया है। यह देश की उन कंपनियों में से एक थी जो लोगों के बजट को ध्यान में रखकर कार बना रही थी। इसके तीन मॉडल भारतीय बाजार में उपलब्ध थे। सभी की एक्स शोरूम कीमत 4 लाख के करीब थी। एक मॉडल और भी कम हो रहा था। वाहनों का माइलेज भी 22km/l के करीब था। सुरक्षा के लिहाज से भी यह बेहतरीन था। डुअल एयरबैग से लेकर व्हीकल डायनेमिक कंट्रोल जैसे फीचर्स उपलब्ध थे। इसके बाद भी कंपनी को अपना कारोबार बंद करना पड़ा। कोविड के चलते कंपनी के लिए हालात और खराब हो गए थे।
आखिर ऐसा क्या हुआ कि भारत में किफायती कार निर्माता को अपना कारोबार बंद करना पड़ा? क्या डैटसन की स्थिति फोर्ड जैसी ही थी? उन लोगों का क्या होगा जिन्होंने डैटसन कार खरीदी है? कंपनी के इस फैसले के बाद कोई उसके स्टॉक में खड़ी कारों को खरीदना चाहेगा? इन सभी सवालों के जवाब हम एक-एक करके देंगे। लेकिन सबसे पहले जानिए डैटसन का सफर कैसे शुरू हुआ?
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भारतीय बाजार में सफर 2012 से शुरू
20 मार्च 2012 को जापानी कंपनी निसान ने भारतीय बाजार में अपना डैटसन ब्रांड लॉन्च किया। इसे भारत के साथ इंडोनेशिया, नेपाल, दक्षिण अफ्रीका और रूस में भी पेश किया गया था। डैटसन सस्ती कारों के दम पर इन सभी देशों में अपनी पहचान बनाना चाहती थी। 15 जुलाई 2013 को कंपनी ने देश में अपने 3 शोरूम लॉन्च किए। इसका शोरूम दिल्ली में 2014 में खोला गया था। तब कंपनी को भरोसा था कि कम कीमत वाली कारों के साथ वह भारतीय बाजार में अपना सिक्का जमा लेगी। हालांकि, ऐसा नहीं हुआ और कंपनी ने पिछले हफ्ते भारत में अपना कारोबार बंद करने का फैसला किया। उसने रूस, इंडोनेशिया और दक्षिण अफ्रीका से अपना कारोबार बंद कर दिया है।
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देश की सबसे सस्ती कारें बना रही थी डैटसन
कंपनी ने भारतीय बाजार में एक के बाद एक 3 मॉडल लॉन्च किए। इसमें डैटसन गो, डैटसन गो+ और डैटसन रेडी-गो शामिल थे। ये तीनों भारतीय बाजार में बिकने वाले सबसे सस्ते मॉडल्स की लिस्ट में भी शामिल हैं। डैटसन रेडी-गो की शुरुआती कीमत 3.98 लाख रुपये, डैटसन गो की 4.03 लाख रुपये और डैटसन गो प्लस की एक्स-शोरूम कीमत 4.26 लाख रुपये है। इतनी कम कीमत के बाद भी कंपनी को अपना बोरी बिस्तर लपेटना पड़ा। यह कहना कि ये सभी मॉडल सुरक्षा दिशानिर्देशों को पूरा कर रहे थे। नए जमाने के हिसाब से इसमें कई एडवांस और हाईटेक फीचर भी दिए गए थे।
2021 में मारुति ने 13.65 लाख जबकि डैटसन ने 3810 कारें बेचीं
डैटसन के सामने सबसे बड़ी समस्या यह थी कि सस्सी कारों के बाद भी इसकी बिक्री काफी सुस्त रही। ऊपर से, हुंडई और टाटा के साथ भारत की सबसे भरोसेमंद मारुति सुजुकी ने चुनौतियों को जोड़ा। चाइनामोबिल के आंकड़ों के मुताबिक, डैटसन ने 2104 में 14501, 2015 में 19378, 2016 में 39009, 2017 में 40443, 2018 में 34375, 2019 में 16670, 2020 में 7175 और 2021 में 3810 कारें बेचीं। 2018 से कंपनी का बिक्री ग्राफ गिरने लगा। . कंपनी ने 2017 की तुलना में 2021 में 36,633 यूनिट कम बेची। जबकि मारुति, हुंडई और टाटा का ग्राफ इस दौरान लाख यूनिट से ऊपर चला गया। 2021 में मारुति ने 13.65 लाख कारें बेचीं।
5 सीटर की कीमत में दे रहा था 7 सीटर
Datsun के पास देश की सबसे सस्ती 7 सीटर Datsun GO Plus भी है. इसकी एक्स शोरूम कीमत 4.26 लाख रुपये है। इस कार में 1.2 लीटर का पावरफुल इंजन दिया गया है। कंपनी का दावा है कि यह 1 लीटर पेट्रोल में 20 किमी का जबरदस्त माइलेज भी देती है। यानी कम कीमत होने के बाद भी दमदार इंजन वाली इस कार में आपको बेहतर माइलेज मिलेगा. इसमें 35 लीटर का फ्यूल टैंक है। इस 7 सीटर कार को आप स्टॉक क्लियरेंस होने तक खरीद सकते हैं। कंपनी का कहना है कि वह अपने सभी ग्राहकों को सेवा देना जारी रखेगी। Datsun की सबसे छोटी एंट्री-लेवल कार Datsun GO है।
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फोर्ड को भी कमजोर बिक्री का सामना करना पड़ा।
करीब 8 महीने पहले अमेरिकी ऑटोमोबाइल कंपनी फोर्ड ने अपनी वाहन निर्माण फैक्ट्रियां बंद कर दी हैं। फोर्ड भारतीय बाजार में काफी समय से संघर्ष कर रही थी। कोविड के बाद कंपनी के हालात और खराब हो गए। कंपनी के वाहनों की बिक्री में भी लगातार गिरावट आई, जिसके बाद उसे अपना कारोबार बंद करना पड़ा। अगस्त 2021 में, फोर्ड ने पिछले साल अगस्त में 4,731 इकाइयों की तुलना में देश भर में 1,508 इकाइयां बेचीं। यानी कंपनी की बिक्री में 68.1% की गिरावट आई। अगस्त 2020 में कंपनी की बाजार हिस्सेदारी 1.90% थी। कंपनी के देश भर में 11,000 से अधिक कर्मचारी हैं।
किसी और की तरह नहीं होंगी फोर्ड, डैटसन?
इस सवाल का जवाब देना जल्दबाजी होगी, क्योंकि कोविड के बाद बाजार की स्थिति बेहतर हो रही है। बाजार में खुद को फिर से स्थापित करने की दौड़ में कई कंपनियां शामिल हो गई हैं। 2021 की बात करें तो मारुति, हुंडई और टाटा की 72% बाजार हिस्सेदारी है। जबकि महिंद्रा, किआ, टोयोटा, रेनो, होंडा, एमजी और निसान की बाजार हिस्सेदारी 30 फीसदी है। इन 7 कंपनियों की बाजार हिस्सेदारी 1% से 6% है। वोक्सवैगन, स्कोडा और जीप के पास 2% बाजार हिस्सेदारी है। अभी हाल ही में लॉन्च हुई Citroen का खाता भी नहीं खुला है. ऐसे में अगर इन लग्जरी कार निर्माता कंपनियों के वाहनों की बिक्री होती है
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