सिंगल यूज प्लास्टिक की चीजों पर लगा प्रतिबंध, पकड़े जाने पर लगेगा 1 लाख का जुर्माना
Single Use Plastic Ban: प्रतिबंध के बाद अगर कोई व्यक्ति सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल या फिर उत्पादन, आयात, भंडारण और बिक्री करता है तो पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 15 के तहत उस पर कार्रवाही की जाएगी।
केंद्र सरकार की ओर से प्लास्टिक से निकलने वाले कचरे के खिलाफ कड़ा कदम उठाते हुए से 1 जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक को बैन कर दिया गया है। सरकार के इस फैसले के बाद सिंगल यूज प्लास्टिक से बने हुए सामान जैसे ईयर बड स्टिक, प्लास्टिक के झंडे, आइसक्रीम स्टिक, कप गिलास, काटा चम्मच, मिठाई के डिब्बे पर लगने वाली पन्नी सिगरेट पैकेट रैपर, पीवीसी बैनर और टेट्रा पैक के साथ मिलने वाली स्टिक पर बैन लग चुका है।
मंत्रालय की ओर से जारी नोटिफिकेशन में कहा गया है, “पॉलीस्टायरीन और विस्तारित पॉलीस्टाइनिन सहित सिंगल यूज वाले प्लास्टिक का निर्माण, आयात, स्टॉकिंग, वितरण, बिक्री और उपयोग 1 जुलाई, 2022 से प्रतिबंधित होगा।”
पकड़े जाने पर लगेगा जुर्माना: 1 जुलाई से प्रतिबंध लगने के बाद अगर कोई भी आम आदमी सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग करता हुआ पाया जाता है तो फिर उस पर 500 से 2000 रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा। वहीं अगर कोई व्यक्ति सिंगल यूज प्लास्टिक का उत्पादन, आयात, भंडारण और बिक्री करता है तो पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 15 के तहत उस पर कार्रवाही की जा जाएगी। इसके तहत दोषी पाए जाने पर 20 हजार से लेकर 1 लाख रुपए का जुर्माने या फिर पांच साल तक की सजा का प्रावधान है।
प्लास्टिक पर प्रतिबंध क्यों जरूरी है?: प्लास्टिक को दुनिया में होने वाले प्रदूषण के लिए एक बड़ा कारक माना गया है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2018- 19 में पूरे देश में 30.59 लाख टन और वित्त वर्ष 2019-20 में 34 लाख टन से अधिक प्लास्टिक का कचरा निकला था। प्लास्टिक के कचरे की सबसे बड़ी समस्या यह है कि इसका निस्तारण करना बेहद मुश्किल होता है। कई शोधों से पता चला है कि सिंगल यूज प्लास्टिक के के कारण निकलने वाले कचरे के एक बड़े हिस्से का निस्तारण नहीं हो पाता है, जिसके कारण ये देश के विभिन्न हिस्सों के कूड़ा घरों में एकत्रित होकर हवा, पानी और जमीन तीनों को दूषित करता है।
दूसरे देश प्लास्टिक को लेकर क्या कदम उठाएं?: इस साल की शुरुआत में दुनिया के 124 देशों ने यूनाइटेड नेशनल एनवायरमेंट असेंबली में एक प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें भारत का भी नाम शामिल था। इस प्रस्ताव के मुताबिक हस्ताक्षर करने वाले देशों को भविष्य में प्लास्टिक के उत्पादन से लेकर उसके निस्तारण करने तक के लिए कानूनी प्रक्रिया बनाने पर जोर देना था, जिससे दुनिया में प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण को कम किया जा सके। 2002 में बांग्लादेश प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने वाले दुनिया का पहला देश बना था। जुलाई 2019 में न्यूजीलैंड ने भी प्लास्टिक पर बैन लगा दिया था। वहीं चीन 2020 के बाद से चरणबद्ध तरीके से प्लास्टिक के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा रहा है। जुलाई 2019 के आंकड़ों के मुताबिक अब तक कुल 68 देश प्लास्टिक की पॉलीथिन पर बैन लगा चुके हैं।
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