लश्कर के आतंकी को खुफिया दस्तावेज देने के आरोप में हिमाचल प्रदेश काडर के आईपीएस अधिकारी (IPS officer) अरविंद दिग्विजय नेगी (Arvind Digvijay Negi)को गिरफ्तार किया गया है. नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA)ने नेगी को UAPA के तहत गिरफ्तार किया. नेगी को नवंबर 2021 में एजेंसी की ओर से दर्ज एक OGW नेटवर्क मामले के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया है. वे करीब एक साल से एजेंसी के रडार पर थे. अरविंद (Arvind Digvijay Negi) को समूह लश्कर-ए-तैयबा के हुर्रियत टेरर फंडिंग मामले की जांच के लिए 2017 में गैलेंट्री अवार्ड (वीरता पुरस्कार) मिला था.
11 साल तीन महीने NIA में प्रतिनियुक्ति (deputation) में रहने के बाद नेगी को उनके कैडर में वापस भेज दिया गया था. दिग्विजय नेगी को केंद्र की प्रतिनियुक्ति से लौटने के बाद जयराम सरकार ने भी बड़ी जिम्मेवारी नहीं दी. नेगी NIA में सबसे लंबा कार्यकाल पूरा करने वाले अधिकारियों में शामिल हैं. भारतीय खुफिया एजेंसियों के खुफिया दस्तावेज लीक होने की जानकारी देने के बाद नवंबर में NIA ने हिमाचल प्रएनआईए के रडार पर होने की वजह से NIA ने हिमाचल प्रदेश के किन्नौर में उनके आवास पर छापेमारी की थी. इस मामले में NIA ने 6 नवंबर 2021 को केस दर्ज किया था. NIA इस मामले में पहले ही 6 आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है. NIA के मुताबिक जांच में नेगी की भूमिका संदिग्ध पाई गई. इसके बाद उनकगे घर की तलाशी ली गई. जांच में सामने आया कि नेगी ने गुप्त दस्तावेज लश्कर के एक आतंकी तक पहुंचाए थे.
आईपीएस अधिकारी अरविंद दिग्विजय नेगी की गिरफ्तारी के बाद हिमाचल प्रदेश पुलिस में हड़कंप की स्थिति बनी हुई है. अरविंद नेगी की गिरफ्तारी की सूचना सोशल मीडिया पर फैली तो इससे हिमाचल प्रदेश और राज्य के पुलिस महकमे में हड़कंप की स्थिति बन गई. यह उल्लेखनीय है कि आरोपों के संबंध में अपना पक्ष रखने के लिए नेगी पहले ही दो बार एनआईए के सामने पेश हो चुके हैं. जांच एजेंसियां नेगी की संपत्ति की जांच कर रही हैं.